Detailed Notes on Subconscious Mind



इस तरह सलाह करके ये लोग वहां से चले। जब बादशाह के महल के पास पहुंचे तो कुत्ता भूंका। चोर ने कुत्ते की बोली पहचानकर साथियों से कहा कि यह कह रहा है कि बादशाह हैं। इसलिए सावधान होकर चलना चाहिए। मगर उसकी बात किसीने नहीं मानी। जब नेता आगे बढ़ता चला गया तो दूसरों ने भी उसके संकेत की कोई परवा नहीं की। बादशाह के महल के नीचे पहुंचकर सब रुक गये और वहीं चोरी करने का इरादा किया। दूसरा चोर उछलकर महल पर चढ़ गया। और फिर उसने बाकी चोरों को भी खींच लिया। महल के भीतर घुसकर सेंध लगायी और खूब लूट हुई। जिसके जो हाथ लगा, समेटता गया। जब लूट चुके तो चलने की तैयारी हुई। जल्दी-जल्दी नीचे उतरे और अपना-अपना रास्ता लिया। बादशाह ने सबका नाम-धाम पूछ लिया था। चोर माल-असबाब लेकर चंपत हो गये।

[इस तरह के शिक्षा ग्रहण करने के योग्य चिह्न सब मनुष्यों की दशा में विद्यमान हैं, परन्तु वे सांसारिक मोह में फंसे रहने के कारण इनपर ध्यान नहीं देते। यह हृदय, जिसमें ईश्वरीय ज्योति का प्रकाश नहीं पहुंचता, नास्तिक की आत्मा की तरह अन्धकारमय है। ऐसे हृदय से तो कब्र ही अच्छी है।]

भाई लहणे ने हाथ जोड़ कर कहा:-"सतगुरु कहाँ से खाना शुरू करू पैर की तरफ से या सिर की तरफ से"

सुलमान के दरबार से जब वायु के नाम हुक्म पहुंचा तो वह बड़े वेग से दौड़ता हुआ हाजिर हो गया। वायु के आते ही मच्छर ठहर नहीं सके। उन्हें भागते ही बना। जब मच्छर भाग रहे थे उस समय उनसे सुलेमान ने कहा, "यदि तुम न्याय चाहते हो तो भाग read more क्यों रहे हो?

जब माली ने सूफी को ठीक कर दिया तो वैसा ही एक read more बहाना और ढूंढा और कहा, "ऐ मेरे प्यारे सैयद, आप मेरे घर पर तशरीफ ले जायें। मैंने आपके लिए बढ़िया खाना बनवाया है। मेरे दरवाजे पर जाकर दासी को आवाज देना। वह आपके लिए पूरियां और तरकारियां ला देगी।"

कोढ़ी हैरान हो गया क्योंकि उसके तो पास भी कोई आना नहीं चाहता था फिर ...उसके घर में रहने के लिये कोई राजी कैसे हो गया ?

हजरत मूसा ने बड़ी नरमी से उसे समझाया, "तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी, परन्तु अच्छा यह है कि तू ईश्वर से डर और इस विचार को छोड़ दे, क्योंकि शैतान की प्रेरणा से तुझे यह ख्याल पैदा हुआ है। व्यर्थ की विपत्ति मोल न ले, क्योंकि पशुओं की बोली समझने से तुझपर बड़ी आफत आयेगी।"

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एक युवक ने हजरत मूसा से चौपायों की भाषा सीखने की इच्छा प्रकट की, ताकि जंगली पशुओं की वाणी से ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करे, क्योंकि मनुष्य की सारी वाक्शक्ति तो छल-कपट में लगी रहती है। सम्भव है, पशु अपने पेट भरने का कोई ओंर उपाय करते हों।

उसी रात माता गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए ।

उनका अनुसरण करते हुए सारी_संगत भी साथ ही चल पड़ी।

जब यह अरब महल के द्वारा तक पहुंचा ता चोबदार आये। उन्होंने इसके साथ बड़ा अच्छा व्यवहार किया। चोबदारों ने पूछा, "ऐ भद्र पुरुष!

जब खलीफा ने देखा और इसका हाल सुना तो मशक को अशर्फियों से भर दिया। इतने बहुमल्य उपहार दिये कि वह अरब भूख-प्यास भूल गया। फिर एक चोबदार को दयालु बादशाह ने संकेत किया, "यह अशर्फी-भरी मशक अरब के हाथ में दे दी जाये और लौटते समय इसे दजला नदी के रास्ते रवाना किया जाये। वह बड़े लम्बे रास्ते से यहां तक पहुंचा है। और दजला का मार्ग उसके घर से बहुत पास है। नाव में बैठेगा तो सारी पिछली थकान भूल जायेगा।"

लगातार देखते-देखते ही उसके शरीर में कुछ बदलाव आने लगे पर कुछ कह नहीं पा रहा था !

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